Kohlar Insight Learning theory | अंतर्दृष्टि अधिगम का सिद्धांत क्या है ?

Insight Learning theory Kohlar Theory

 मित्रों आज हम सभी अंतर्दृष्टि अधिगम का सिद्धांत क्या है ?(Insight Learning Theory Kya Hai) के बारे में जानेंगे |

                प्रत्येक मनुष्य अपने अनुभव के आधार पर और तात्कालिक परिवेश के सहयोग से सदैव कुछ न कुछ बातें  से सीखता है | इसी आधार पर यह जेस्टाल्ट का सिद्धांत आधारित है | जेस्टाल्ट के अनुसार, मनुष्य किसी समस्या का हल निकालने के लिए अपने स्वयं के अनुभव का ज्ञान के जरिए प्रयास करता है | प्रयास के दौरान कुछ नई कल्पनाएं विचार या सिद्धांत को प्राप्त करता है और समस्या का हल निकालने में सफल हो जाता है | ऐसी सफलता ज्ञान अवधारणा के लिए ज्यादा सहायता प्रदान करती है | किसी समस्या का बोध होना उस पर कल्पना शक्ति के जरिए हल या विचार करने की प्रक्रिया को अंतर्दृष्टि परिज्ञान कहते हैं  | इस सिद्धांत (Insight Learning theory) को कोहलर द्वारा किए गए प्रयोग से स्पष्ट किया गया है |

कोहलर का  प्रयोग (Kohler Wolfgang Kohler 1887 –  1967) 

Kohlar Insight Learning theory | अंतर्दृष्टि अधिगम का सिद्धांत क्या है ?

कोहलर द्वारा किये गये प्रयोग में चिंपैंजी वानरों का उपयोग किया गया था | एक पिंजड़े में चिंपैंजी वानर को बांधकर रखा गया था | उस पिंजड़े के ऊपर कुछ केले लटकाए गए जो चिंपैंजी के हाथ की पहुंच से दूर थे | पिंजरे में कुछ छड़िया रखी थी तथा कुछ बॉक्स रखे गए थे | चिंपांजी के हाथ न पहुंचने पर, उसने छड़ी का प्रयोग किया मगर केले तक वह नहीं पहुंच पाया | फिर चिंपांजी ने दूसरी छड़ी फंसाकर बॉक्स खिसकाकर केले के नीचे लाया | फिर उस पर चढ़कर छड़ी की सहायता से केलों को हासिल किया | जब दूसरी बार वैसी स्थिति पैदा हुई, तब उस चिंपैंजी ने तुरंत बॉक्स और छड़ी की मदद से केले को आसानी से प्राप्त कर लिया | इसीप्रकार मनुष्य  के द्वारा अपना पुराना अनुभव याद करना और समस्या का तुरंत हल निकालना , सफलता हासिल करने के अनुभव से बहुत कुछ बातें सीखने का मिलती है | ऐसी बातें प्रशिक्षणार्थी आसानी से समझ पाते हैं और लंबे समय तक ध्यान में रखते हैं | व्यवसाय प्रशिक्षण में इस सिद्धांत का प्रयोग ज्यादा उपयुक्त होता है |

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