ESI Act 1948 क्या है?

मित्रों आज हम सभी जानेंगे कि ESI Act 1948 क्या हैं ? ESI Act 1948 के क्या लाभ होते हैं ?

ESI अधिनियम 1948 | ESI Act 1948

ESI Act 1948 का पूर्ण रूप:- Employee’s State insurance (ESI) Act 1948

मित्रों आप सोच रहे होंगे कि ESI अधिनियम 1948 के उद्देश्य (Objectives of ESI act 1948) क्या हैं ?

ESI Act, भारत सरकार द्वारा निर्मित एक बीमा योजना हैं जिसे सरकार द्वारा कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों तथा उनके परिवार को अनेक लाभ प्रदान करना हैं।

esi act 1948

Employee’s State insurance (ESI) Act 1948 एक ऐसा अधिनियम है जो कारखानों या फैक्टरियों में कार्य करने वाले श्रमिकों तथा उनके परिवार को चिकित्सा (Medical) सम्बन्धी समस्याओं के लिए एक वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है। ESI अधिनियम उन सभी बिजली का उपयोग करने वाली फैक्ट्रियाँ (Power Using Factories) पर लागु होती जिनमे 10 से ज्यादा कर्मचारी कार्य करते हैं तथा गैर-बिजली उपयोग करने वाली फ़ैक्टरियाँ (Non-Power Using Factories) के लिए यह संख्या 20 है। एक कर्मचारी तथा उसका नियोक्ता दोनों ही ESI Act 1948 में अपना अंशदान (Contribution) करते है ।

Employees’ State Insurance Corporation (ESIC) एक संवैधानिक कॉर्पोरेट संस्था है जो ESI Act की योजनाओं के प्रशासन की जिम्मेदारी संभालती है।

ESI Act 1948 के लाभ (Benefits of ESI act 1948)

  • चिकित्सीय लाभ (Medical Benefits) :- जब एक कर्मचारी रोजगार करना शुरू करता है तो उसी दिन से ही ESI Act 1948 लागू  हो जाता है । कर्मचारी के चिकित्सा (Medical) से सम्बंधित सभी खर्चे ESIC द्वारा भुगतान किये जाते हैं
  • अयोग्यता लाभ (Disability Benefits) :- यदि कोई कर्मचारी अस्थायी विकलांगता (Temporary Disablement) का सामना करता है तो चोट (Injury) के दौरान उसकी पूरी मासिक वेतन का भुगतान किया जाता है तथा स्थायी विकलांगता (Permanent Disablement) की दशा में उसको पूरे जीवन पर्यंत वेतन मिलती है।
  • मातृत्व लाभ (Maternity Benefit) :-  मातृत्व लाभ के रूप में महिला कर्मचारी को पूरे 26 सप्ताह तक अपने औसत दैनिक मजदूरी (Daily Wage) का 100% हिस्सा मिलता है तथा गर्भपात की दशा  में 6 सप्ताह तक इसका लाभ मिलता है और बच्चा गोद लेने की दशा में 12 सप्ताह तक का लाभ मिलता है।
  • बीमारी में लाभ (Sickness Benefits) :-  यदि कोई कर्मचारी चिकित्सा छुट्टी (Medical leave) पर है तो उसे अपने दैनिक मजदूरी (Daily Wage) का 70% हिस्सा 91 दिनों के अधिकतम समयांतराल के लिए मिलता है।
  • बेरोजगारी भत्ता (Unemployment Allowance) :-  यदि कोई कर्मचारी किसी वजह से अपना रोजगार खो देता है तो उसे अधिकतम 24 दिनों के लिए अपना पूरा मासिक वेतन दिया जाता हैं |
  • आश्रित लाभ (Dependent’s Benefit) :- यदि कोई कर्मचारी काम के दौरान अपना जीवन खो देता है तो उसके परिवार के सदस्यों को मासिक रूप से वेतन का भुगतान किया जाता है।

ESI अधिनियम 1948 में अंशदान दरें (Contribution rates in ESI Act 1948)

वे सभी कर्मचारी जिनका मासिक वेतन 21,000 रूपये से कम है, ESI Act 1948 के योग्य होते हैं |

जुलाई 2019 Revisions के अनुसार, कर्मचारी अपनी मासिक वेतन का 0.75% राशि ESI में अंशदान (Contribution) करते है तथा नियोक्ता (Employer) इसमें 3.25% अंशदान (Contribution) करते है। इस प्रकार यह कुल 4% ESI अंशदान (Contribution) हो जाता है। जब भी कोई कंपनी ESI योजना के लिए पात्र बनती है तो इसके 15 दिनों बाद इसमें कार्य करने वाले कर्मचारी द्वारा ESI योजना (Scheme) के लिए आवेदन कर सकते है।

इसे व्यावहारिक रूप से सरल शब्दों में समझें :-

मान लीजिए कि किसी कंपनी में एक कर्मचारी का एक माह का वेतन 10,000 रूपये हैं तो उस कर्मचारी को वेतन का 0.75% राशि अर्थात 75 रुपये का अंशदान (Contribution) ESI act  में करना पड़ेगा तथा उसकर्मचारी का कंपनी का मालिक या नियोक्ता (Employer) 3.25% % राशि अर्थात 325 रूपये का अंशदान (Contribution) का भुगतान करेगा । कर्मचारी द्वारा उस महीने का ESI का भुगतान कुल 25+325 = 400 रूपये का हो गया तथा इसके भुगतान के बाद कर्मचारी के हाथ में 10,000–75 = 9925 रूपये आएँगे तथा कर्मचारी का Cost to Company (CTC) 10,000+325 = 10325 रूपये होता हैं (अन्य किसी भी प्रकार का कोई एक्ट जैसे PF, Bonus आदि लागु नहीं होने की स्थिति में)। 

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