मित्रों आज हम सभी लिमिट, फिट और टॉलरन्स (limit fit tolerance) के बारे में जानेंगे ।
लिमिट, फिट और टॉलरन्स (limit fit tolerance)
कारखाने में पार्ट्स को बनाने के लिए,पार्ट्स की विमाओं में विनिमयशीलता का ध्यान रखा जाता हैं, जिसमें लिमिट, फिट और टॉलरन्स (limit fit tolerance) की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं । इसके बारे में विस्तृत जानकारी निम्नवत हैं ।
लिमिट (Limit)
वर्कशॉप में कारीगर द्वारा पार्ट्स को बनाने के लिए बेसिक साइज़ से थोड़ा छोटा या बड़ा बनाने के किये कुछ छूट दिया जाता है, यह छूट इतनी होती है, जिससे उस पार्ट्स पर कोई प्रभाव नही पड़ता है |
परिशुद्ध जॉब्स को बनाने में अधिक समय लगता है, इसलिए पार्ट्स को बनाने के लिए सीमा निर्धारित कर दी जाती है जिससे जॉब्स या पार्ट्स बेसिक साइज़ से कितनी सीमा में कम या अधिक साइज़ में बनाया जा सकता है | इससे कारीगर को कार्य करने में आसानी होती है |
किसी भी जॉब के बेसिक साइज़ पर स्वीकृत न्यूनतम या अधिकतम सीमा में पार्ट्स के साइज़ बनाया जा सकता है, उसे जॉब की लिमिट (Limit) कहते है |
लिमिट के प्रकार (Types of Limit)
लिमिट दो प्रकार की होती है |
- हाई लिमिट
- लो लिमिट
हाई लिमिट (High Limit) :-
किसी भी जॉब के बेसिक साइज़ पर स्वीकृत अधिक से अधिक जिस सीमा में पार्ट्स के साइज़ को बनाया जा सकता है, उसे जॉब की हाई लिमिट कहते है ।
उदाहरण :-
25.00 ±0.05 mm
यहाँ पर हाई लिमिट 25.00 +0.05 mm = 25.05 mm होगा |
लो लिमिट (Low Limit) :-
किसी भी जॉब के बेसिक साइज़ पर स्वीकृत कम से कम जिस सीमा में पार्ट्स के साइज़ को बनाया जा सकता है उसे जॉब की लो लिमिट(Low Limit) कहते है।
उदाहरण :-
30 .00 ±0.05 mm
यहाँ पर लो लिमिट 25.00 – 0.05 mm = 24.95 mm होगा |
फिट (Fit)
किसी भी मशीन को अलग-अलग प्रकार के कई पार्ट्स से असेम्बल करके बनाया जाता हैं | इनमें कुछ ऐसे कुछ विशेष पार्ट्स होते हैं जिनके साइजों को अत्यधिक सूक्ष्मता से बनाया जाता हैं और वे आपस में स्लाइड करते हैं या घूमते हैं | इन पार्ट्स के बीच में क्लीयरेंस या इंटरफेरेंस की मात्रा से बनने वाले सम्बन्ध को फिट कहा जाता हैं |
असेम्बल किये हुए दो पार्ट्स के बीच के सम्बन्ध को फिट कहते हैं |
फिट के प्रकार (Types of Fit)
- क्लीयरेंस फिट
- ट्रांजीशन फिट
- इंटरफेरेंस फिट
क्लीयरेंस फिट (Clearance Fit)
- होल का साइज़ शाफ़्ट के साइज़ से बड़ा रखा जाता हैं |
- क्लीयरेंस फिट में धनात्मक अलाउंस रखा जाता हैं |
क्लीयरेंस फिट दो प्रकार के होते हैं |
- रनिंग फिट
- स्लाइडिंग फिट
रनिंग फिट में क्लीयरेंस अधिक होने के कारण शाफ़्ट होल में स्वतंत्रता से घूमता हैं ।
जैसे : बुश बियरिंग और शाफ़्ट।
स्लाइडिंग फिट में क्लीयरेंस, रनिंग फिट से कम होता हैं | शाफ़्ट होल में स्लाइड करता हैं ।
जैसे : ब्लैंकिंग पंच और डाई ।
ट्रांजीशन फिट (Transition Fit)
इसमें क्लीयरेंस और इंटरफेरेंस दोनों के गुण पाये जाते है ।
इसमें शाफ़्ट या तो बिलकुल स्वतंत्र से होल के अंदर घूमेगा या शाफ़्ट होल के अंदर नहीं जायेगा | इसमें पुश फिट आती हैं , जिसे हाथ के हल्के दबाव से फिट किया जाता हैं या खोला जाता हैं ।
इंटरफेरेंस फिट (Interference Fit)
इंटरफेरेंस फिट में होल का माप शाफ़्ट के माप से छोटा रखा जाता है |
इसमें शाफ़्ट को सुराख़ में फिट करते समय कुछ रुकावट पैदा होती है और जिसे फिट करने में अधिक बल की जरुरत होती है उसे इंटरफेरेंस फिट कहते है |
टॉलरेंस (Tolerance)
हाई लिमिट साइज और लो लिमिट साइज के अंतर को टॉलरेंस या टॉलरेंस जोन कहते है ।
टॉलरेंस सदैव धनात्मक होती हैं ।
टॉलरेंस के प्रकार
- यूनिलैटरल टॉलरेंस
- बाइलैटरल टॉलरेंस
- कम्पाउन्ड टॉलरेंस
- जिओमेट्रिक टॉलरेंस
यूनिलैटरल टॉलरेंस
यूनिलैटरल टॉलरेंस में विमाएं बेसिक साइज़ के किसी एक तरफ दी जाती हैं ।
बाइलैटरल टॉलरेंस
बाइलैटरल टॉलरेंस में विमाएं बेसिक साइज़ के दोनों तरफ दी जाती हैं ।
कम्पाउन्ड टॉलरेंस
कम्पाउन्ड टोलरेंस, दो या दो से अधिक विमाओं के सहयोग से प्राप्त होता हैं ।
जिओमेट्रिक टॉलरेंस
जिओमेट्रिक टॉलरेंस पार्ट की स्थिति के आधार पर दिया जाता हैं। यह पार्ट की असेंबली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। इसमें ज्यामिति के आधार पर प्रतीकों का प्रयोग किया जाता हैं । जैसे फ्लैटनेस , सर्क्यलरिटी , सिलिन्ड्रीसिटी इत्यादि ।
अलाउंस (Allowance )
दो फिट होने वाले पुज्रे के साइज के अंतर को अलाउंस कहते है
या
शाफ़्ट के न्यूनतम माप और होल के अधिकतम माप के अंतर को ही अलाउंस या छूट कहते है |
अलाउंस के प्रकार
अलाउंस दो प्रकार के होते है |
- अधिकतम अलाउंस
- न्यूनतम अलाउंस
अधिकतम अलाउंस ( Maximum Allowance ):
होल के सबसे बड़े माप और शाफ़्ट के सबसे छोटे माप के अंतर को अधिकतम अलाउंस कहते है|
( Maximum Hole Diameter – Minimum Shaft Diameter )
न्यूनतम अलाउंस ( Minimum Allowance ):
होल के सबसे छोटे माप और शाफ़्ट के सबसे बड़े माप के अंतर को न्यूनतम अलाउंस कहते है |
( Minimum Hole Diameter – Maximum Shaft Diameter )
होल और शाफ़्ट
होल
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैन्डर्ड के अनुसार लिमिट एवं फिट के लिए किसी घटक या कम्पोनेन्ट के आंतरिक लक्षणों (चाहे वह बेलनाकार न हो ) को होल या छिद्र का नाम दिया गया हैं ।
शाफ़्ट
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैन्डर्ड के अनुसार लिमिट एवं फिट के लिए किसी घटक या कम्पोनेन्ट के बाह्य लक्षणों (चाहे वह बेलनाकार न हो ) को शाफ़्ट का नाम दिया गया हैं ।
होल बेसिक सिस्टम :-
होल साइज़ को स्थिर रखा जाता हैं |
विभिन्न प्रकार के फिट को पाने के लिए शाफ़्ट के साइज़ को परिवर्तित (कम या अधिक) किया जाता हैं |
शाफ़्ट बेसिक सिस्टम :-
शाफ़्ट साइज़ को स्थिर रखा जाता हैं |
विभिन्न प्रकार के फिट को पाने के लिए होल के साइज़ को परिवर्तित (कम या अधिक) किया जाता हैं |
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